12 ज्योतिर्लिंग के नाम, जगह और संपूर्ण जानकारी | 12 jyotirlinga information in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज के आर्टिकल में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है इस आर्टिकल में हमें भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान (12 jyotirling ke naam aur sthan) के बारे में पूरी चर्चा करेंगे, शिव भक्तों में 12 ज्योतिर्लिंगों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं इन ज्योतिर्लिंगों में ज्योति रूप में समाहित है।

इन ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए दूर-दूर से साधु संत और श्रद्धालु आते हैं, यहां पर हम सभी मंदिरों के नाम स्थान के साथ-साथ इन मंदिरों के इतिहास, वास्तुकला और इनसे जुड़ी हुई कुछ पौराणिक कथाओं का जिक्र भी करेंगे।

12 ज्योतिर्लिंग के नाम (12 Jyotirlinga List in Hindi with Address)

आइए दोस्तों 12 jyotirling ke naam aur jagah देख लेते हैं, इनमें कई मंदिर बहुत रोचक है, शिव भगत के तौर पर आपका इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है, इन मंदिरों से बहुत सी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है।

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)

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सोमनाथ का ज्योतिर्लिंग मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में पहले स्थान पर है, विद्रोहियों ने इस मंदिर को बहुत बार तबाह कर दिया लेकिन शिव भक्तों ने इसे बार-बार उसी स्थान पर दोबारा बनवाया, यह मंदिर गुजरात में समुंदर के किनारे पर स्थित है।

नागर शैली में बना यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है, वर्तमान में स्थित मंदिर बीसवीं शताब्दी में ही बनाया गया था, इस मंदिर को सर्वप्रथम कब बनाया गया इसका कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है लेकिन 650 ईसवी में वैल्लभी के राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।

श्रावण मास में यहां पर भक्तों का तांता लग जाता है, पूरे भारतवर्ष से साधु संत और श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा पाठ करने के लिए आते हैं, एक कथा के अनुसार चंद्रदेव ने भगवान शिव की तपस्या की थी,  जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्रदेव को अपना रूप दिखाया चंद्रदेव ने उनको यहीं पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान होने का आग्रह किया तो भगवान शिव भगत की बात कैसे टाल सकते थे।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga)

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12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरे स्थान पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है, यह आंध्र प्रदेश में श्रीशैल नाम के एक पर्वत के ऊपर स्थित है, इस मंदिर के पास से कृष्णा नामक नदी भी बहती है, इस मंदिर में भगवान शिव के साथ मां पार्वती की पूजा अर्चना भी की जाती है।

एक कथा के अनुसार ऋषि ब्रिंगी ने भगवान शिव की बहुत अधिक पूजा अर्चना की जिससे कि मां पार्वती नाराज हो गई और मुनि को श्राप दे दिया की उनको बगैर टांगों को जमीन पर रखें खड़े रहना होगा यह बहुत विचित्र समस्या थी, इसके बाद भोलेनाथ ने मां पार्वती को समझाया और ऋषि को एक तीसरी टांग दे दी, जिससे कि मां पार्वती का दिया शराप भी पूरा हो गया और ऋषि खड़े होने में भी सक्षम हो गए।

यह मंदिर श्रीशैल नाम से भी प्रसिद्ध है, और इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है, इस मंदिर के निर्माण में बहुत से राजाओं ने सहयोग किया था, इस मंदिर को सबसे पहले बनाने का ऐतिहासिक प्रमाण यह है कि सातवाहन साम्राज्य ने पहली सदी में इसे बनाया था, ऐसा सातवाहन साम्राज्य के समय की पुस्तक में वर्णन है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga)

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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में तीसरे स्थान पर है, मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित इस मंदिर को भूलोक पर सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, यह मंदिर शिव जी के सभी मंदिरों में अग्रणी स्थान रखता है।

इस मंदिर की भस्म आरती सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, भस्म आरती में मुर्दों की ताजा राख से शिवलिंग को लेपा जाता है, इस भस्म आरती को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, इस मंदिर के निर्माण में द्रविड़ वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है, यह मंदिर 18 शक्तिपीठों में गिना जाता है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga)

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश मैं स्थित है यह मंदिर उज्जैन से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, तीर्थ यात्रा के पश्चात नदियों से प्रवाहित होने वाले दलित से यहां के शिवलिंग का अभिषेक करना हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मान्यता है ऐसा माना जाता है कि किसी भी तीरथ में जाने के बाद यहां पर जाना महत्वपूर्ण है वरना यात्रा सफल नहीं मानी जाती।

यहां पास में एक नदी भी स्थित है, नदी के किनारे पर स्थित होने के कारण यह मंदिर ऊपर से ॐ आकृति में दिखाई देता है, इसलिए इस मंदिर का नाम ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर है, राजा मान्धाता ने यहाँ पर भगवान की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपना रूप दिखाया था तब से शिव यहां पर ज्योतिष समान ज्योतिर्लिंग में विराजमान है।

इस मंदिर के निर्माण में भारत की नागर वास्तुकला इस्तेमाल की गई है,  इस मंदिर को भी बाकी मंदिरों की तरह बहुत बार विध्वंस को ने ध्वस्त कर दिया था लेकिन शिव भक्तों ने इसे पुन: बनाया।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga)

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केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में पांचवें स्थान पर स्थित है, यहां पर गर्मियों में जाना उचित रहता है क्योंकि यह मंदिर हिमालय में स्थित है, जिसके कारण सर्दियों में यहां बहुत अधिक बर्फ पड़ती है।

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा यह है कि यहां पर नर और नारायण नामक दो शिव भगत तपस्या करते थे, उनसे खुश होकर महाकाल ने उन्हें अपना रूप दिखाया था, ऋषिओ के आग्रह करने के कारण भगवान शिव इसी जगह पर शिवलिंग के रूप में समाहित हो गए थे।

अभी यहां पर स्थित प्राचीन मंदिर राजा भोज जो कि मालवा के राजा थे, उन्होंने दसवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण कराया था, शिव शिव पुराण में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में जाता है वह स्वर्ग की प्राप्ति करता है।

उत्तराखंड राज्य की हिमालय की पहाड़ियों में स्थित यह मंदिर 400 सालों तक बर्फ के नीचे दबा रहा था, लेकिन कठोर पत्थर से निर्मित यह मंदिर खंडित नहीं हुआ और अभी भी ज्यों का त्यों यहां पर स्थित है 2013 में आई भयंकर त्रासदी में भी एक चमत्कार देखने को मिला भीम शिला नाम से प्रसिद्ध एक बहुत बड़ा पत्थर इस मंदिर के पीछे आकर रुक दिया जिसके कारण पानी दो भागों में कट गया और कंकड़ पत्थर मंदिर से नहीं टकराए।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga)

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महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में छठे स्थान पर आता है, इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर स्थित शिवलिंग बहुत मोटा है, यह मंदिर 32 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और पास से भीमा नाम की एक नदी भी गुजरती है।

ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम जपते हुए इस मंदिर में दर्शन के लिए आता है, उसके सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भीम के पिता कुंभकरण का वध श्री राम के द्वारा रामायण युद्ध में हुआ था, भीम अपने पिता का बदला लेना चाहता था इसलिए उन्होंने ब्रह्मा जी का कठोर तप किया था और देवताओं को पराजित करने का वरदान मांगा था, ब्रह्मा जी ने उन्हें यह वरदान दे दिया था,

इसके पश्चात भीम ने बहुत से देवताओं को युद्ध में हरा दिया था देवताओं को इस तरह हारता देख और अधर्म की धर्म के ऊपर जीत को देखकर सभी देवतागण भगवान शिव से मदद मांगने के लिए गए थे, इसके पश्चात भगवान शिव ने खुद भीम का वध किया था, और जब देवताओं ने उन्हें ज्योतिर्लिंग के रूप में यहीं पर विराजमान होने को कहा तो उन्होंने भक्तों की बातें मान ली थी।

7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishwanath Jyotirlinga)

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काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जब मां पार्वती अपने मायके में थी, तब उन्होंने भगवान शिव से आग्रह किया था कि वे उन्हें यहां से ले जाए शिव उन्हें लेकर काशी विश्वनाथ आ गए थे इसके बाद यहां पर शिव और पार्वती दोनों की पूजा होने लगी थी। यह भारत की पावन नगरी वाराणसी में स्थित बहुत ही सुंदर मंदिर है।

11वी सदी में राजा हरिश्चंद्र ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, लेकिन मोहम्मद गोरी ने कुछ ही समय पश्चात इस मंदिर को तोड़ दिया था, 1780 में अहिल्याबाई ने वर्तमान मंदिर को बनवाया था कहा जाता है कि राजा रणजीत सिंह ने भी 1 टन सोना इस मंदिर के निर्माण के लिए दिया था।

इस मंदिर का निर्माण हिंदू शैली में हुआ था, वैसे तो इस मंदिर के निर्माण में अलग-अलग राजाओं ने सहयोग किया और मिलीजुली छाप थी, लेकिन वर्तमान मंदिर हिंदू शैली में ही बनाया गया है।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga)

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12 ज्योतिर्लिंगों में आठवां स्थान रखने वाला यह ब्रह्मागिरी पर्वत पर स्थित है, ब्रह्मागिरी पर्वत महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है, गौतम ऋषि क्षेत्र के कारण यहां पर भगवान स्वयं उत्पन्न हुए थे और गौतम ऋषि के आग्रह के बाद मैं यहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में ठहर गए थे।

इस मंदिर में ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों देवताओं की पूजा एक साथ रखी जाती है, इस मंदिर के पास में जो प्रतिमा गिरी पर्वत है उसके ऊपर राम कुंड और लक्ष्मण कुंड है जोकि पुराणों में वर्णित है।

इस पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम होता है इसलिए यह पर्वत भी हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, हेमाडपंती शैली में बना यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है।

9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirlinga)

भारत में वैद्यनाथ मंदिर के नाम से बहुत से मंदिर विख्यात है, इनमें से महाराष्ट्र और झारखंड के मंदिर सबसे प्रसिद्ध है, लेकिन लोगों में यह मतभेद है कि इनमें से असली मंदिर कौन सा है।

इस मंदिर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कहानी यह है कि जब रावण शिव की तपस्या कर रहा था तो तपस्या के पश्चात रावण ने शिवजी के ज्योतिर्लिंग मंदिर जिसकी वह तपस्या कर रहा था को लंका में लेकर जाने का आग्रह किया भगवान शिव इसके लिए राजी हो गए थे और उन्होंने कहा था कि रावण इस ज्योतिर्लिंग को लंका में लेकर जा सकता है,

लेकिन उसे एक बात का ध्यान रखना होगा कि अगर उसने बीच में कहीं भी इस ज्योतिर्लिंग को रख दिया तो यह वहीं पर विराजित हो जाएगा।रावण यह शर्त पूरी नहीं कर सका और बीच रास्ते में ही ज्योतिर्लिंग को रख दिया, जिससे कि वह इस  ज्योतिर्लिंग को दोबारा उठाने में सक्षम नहीं हुआ तब से यह भक्तों में रुचि का केंद्र बना हुआ है।

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़ी बहुत सी कहानियां प्रसिद्ध है, लेकिन इनमें से किस कहानी का इस मंदिर से सही जुड़ाव है, इसका भक्तों में बहुत मतभेद हैं, यह द्वारका में स्थित मंदिर है जो कि द्वारकाधीश मंदिर से केवल 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, भगवान शिव को नागों का देवता माना जाता है।

इसलिए इस मंदिर का नाम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर है। इस मंदिर में भारत की दक्षिण की शैली का इस्तेमाल किया गया है, ऐसी मान्यता है कि पांचों पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, इसके बाद यह मंदिर अलग-अलग राजाओं के संरक्षण में रहा था।

11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga)

जब भगवान श्री राम रावण का विनाश करके वापस लौट रहे थे, तो उन्होंने भारत के सबसे निचले हिस्से रामेश्वरम के समुद्री किनारे पर भगवान शिव की पूजा की थी, जहां अब यह मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने हनुमान को कहा था कि वह कैलाश जाकर वहां से शिवलिंग लेकर आए, जिससे कि श्रीराम पूजा कर सके,

भगवान हनुमान आने में थोड़े लेट हो गए, जिसके बाद माता सीता ने मिट्टी से शिवलिंग बनाया और श्रीहरि ने पूजा की इसके पश्चात भगवान हनुमान भी यहां पर आ चुके थे, यहां पर 2 शिवलिंग उपस्थित है, पहला भगवान हनुमान लेकर आए थे और दूसरा मां सीता ने अपने हाथों से बनाया था। इस मंदिर के अंदर 24 कुए स्थित है जिन्हें तीर्थ कहा जाता है,

इस मंदिर में बहुत से श्रद्धालु रामसेतु के अवशेष देखने के लिए भी जाते हैं, क्योंकि यह बिल्कुल समुंदर के किनारे पर स्थित है, भारत के दक्षिण की वास्तु कला में बना यह मंदिर बहुत ही अद्भुत है यहां पर बहुत से छोटे-छोटे खंभों से डिजाइन उकेरा गया है हर एक घम्बे पर बहुत ही लाजवाब डिजाइन है।

12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga)

महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक कहानी प्रसिद्ध है, ऐसी मान्यता है कि एक कन्या शिव की बहुत बड़ी भगत थी कन्या की बड़ी बहन ने उसके पुत्र की हत्या कर दी थी,

लेकिन शिव भगत कन्या को वह पुत्र शिव भक्ति से प्राप्त हुआ था, ऐसा कहा जाता है कि जब उसकी बहन ने बच्चे की हत्या करके उसे एक कुंड में फेंक दिया था तो भगवान शिव ने सवयं आकर बच्चे को कुंड से जीवित बाहर निकाला था।

तब से शिव यहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजित है, हिन्दू धर्म में इस मंदिर से जुड़ी और भी बहुत सी कहानियां प्रचलित है, यह मंदिर लाल पत्थरों से बना हुआ है, और यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में 12वें स्थान पर है और सबसे छोटा मंदिर है।

12 ज्योतिर्लिंग घूमने का यात्रा प्लान – Travel Plan For Visiting 12 Jyotirlingas

दोस्तों अगर आप सभी 12 ज्योतिर्लिंगों पर घूमना चाहते हैं तो आपको कम से कम 1 महीने की यात्रा करनी होगी, आपको अपनी यात्रा की शुरुआत सर्वप्रथम वाराणसी से करनी चाहिए, यहां पर काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग तथा संकट मोचन हनुमान मंदिर के दर्शन करने चाहिए, इसमें आपके दो दिन चले जाएंगे, तीसरे तथा चौथे दिन आप ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग जो मध्य प्रदेश में स्थित है, यहां पर आप जा सकते हैं यहां पर आपको मां नर्मदा के दर्शन भी करने चाहिए।

इसके बाद आपको महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जो उज्जैन में स्थित है, वहां जाना चाहिए तथा अपनी यात्रा को कंटिन्यू रखते हुए आपको वेदनाथ में जाना चाहिए, जो देवघर में स्थित है, इसी कड़ी में आपको आगे भीमशंकर ज्योतिर्लिंग तथा ग्रिनेश्वर ज्योतिर्लिंग में जाना चाहिए, इसके बाद त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में जो नासिक में स्थित है और रामेश्वर के आखिरी ज्योतिर्लिंगतक जाते हुए बीच के ज्योतिर्लिंगों में पूजा अर्चना करते हुए जाइए।

Conclusion:-

दोस्तों इस आर्टिकल में हमने भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में संपूर्ण जानकारी ली है, पूरे भारत में लगभग 64 ज्योतिर्लिंग है, लेकिन उनमें से 12 ज्योतिर्लिंग सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि यहां पर जो ज्योतिर्लिंग है उसमें भगवान शिव स्वयं विराजमान है।

यहां पर हमने 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम हिंदी में देखे हैं (12 jyotirling ke naam hindi mein) अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इसे अपने करीबी साथियों के साथ साझा करना बिल्कुल भी ना भूलें मिलते हैं किसी नए-नए आर्टिकल में नई जानकारी के साथ।

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हेलो दोस्तों मेरा नाम Bhavesh Gadri हैं और मैं इस ब्लॉग का Author और Content Writer हूँ। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लग रही हो तो इसे शेयर जरूर करे

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