दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम धोलावेरा में घूमने की जगह के बारे में बात करेंगे। भारत के गुजरात राज्य के भचाउ तहसील में धोलावीरा गांव स्थित है। यह हड़प्पा सभ्यता का एक पुरातात्विक स्थल है, जिसकी खोज 1960 में यहां के एक निवासी द्वारा की गई थी।
वर्तमान में यह जगह भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है। यह जगह हड़प्पा सभ्यता का एक बहुत बड़ा महानगर हुआ करता था, जिसके अवशेष और खंडहर आज भी इस जगह पर पाए जाते हैं। कच्छ के रण में स्थित यह पुरातात्विक स्थल उस समय 120 एकड़ में फैला हुआ था।
यह भारत का 40 वाँ विश्व धरोहर स्थल है, जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में 2021 मे शामिल किया गया था। अगर आप प्राचीन सभ्यताओं और नगरों के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो हम आपको धोलावीरा में घूमने की 10 सबसे प्रसिद्ध जगह के बारे में बताते हैं।
धोलावीरा में घूमने की जगह – Dholavira Me Ghumne ki Jagah
वैसे तो इस पुरातात्विक स्थल पर घूमने की बहुत सी जगह है, पर इस आर्टिकल में मैं आपको धोलावीरा में घूमने की 10 सबसे प्रसिद्ध जगह के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दूंगा।
1. धोलावीरा पुरातात्विक स्थल – Dholavira Archaeological Site
धोलावीरा पुरातात्विक स्थल धोलावीरा में घूमने की एक सुप्रसिद्ध जगह है। प्राचीन हड़प्पा सभ्यता के खंडहरों, उनकी नगरिया संरचना तथा जीवन शैली को करीब से परखने के लिए यह पुरातात्विक स्थल एक महत्वपूर्ण जगह है। कच्छ के रण में स्थित इस पुरातात्विक स्थल तक जाने के लिए धोलावीरा गांव से ही आपको बोर्ड एवं साइन मिल जाएंगे।

2. खादिर बेट – Khadir Bet
खदिर बेट कच्छ के रण में ही धोलावीरा के पास स्थित एक बहुत ही सुंदर द्वीप है। इस द्वीप पर आप विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं। कच्छ के रन से विभिन्न इस द्वीप की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ और यहां का पानी बहुत ही साफ सुथरा मिलता है। धोलावीरा घूमने जाने वालों को द्वीप पर जरूर घूमने जाना चाहिए।

3. चारी ढांड वेटलैंड संरक्षण रिजर्व – Chari Dhand Wetland Conservation Reserve
यह कछ के रन के नमक वाले खुले घास के मैदान और दलदल वाले मैदान के बीच स्थित जगह है। चारी ढ़ाड का मतलब भी नमक से भरपूर एक दलदलीय जमीन होता है। पक्षी प्रेमियों के लिए यह जगह एक महत्वपूर्ण पर्यटक केंद्र है। यहां पर विशेष अलग-अलग ऋतु में अलग-अलग प्रकार के विभिन्न पक्षी आपको देखने को मिलेंगे।

4. भिरंडियारा गांव – Bhirandiyara Village
भुज से काला भुंडर रास्ते पर स्थित यह गांव एक प्रमुख पर्यटक केंद्र है। इस गांव में लगभग 20 घर है। यह गांव अपने पारंपरिक गुजराती वेशभूषा, गुजराती टाइप के घरों और पारंपरिक परिधान के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव में लगभग सभी घर मेघवाल समुदाय के है। गुजराती कढ़ाई वाले जरे या कपड़े अगर आपको लेने हो तो इस विलेज मे अवश्य जाएं।

5. खादिर मंदिर – Khadir Temple
धोलावीरा गांव के पास मे यह मंदिर स्थित है। अगर आप धोलावीरा घूमने गए हुए हैं और जरूरत का अगर कुछ भी समान आपको कम पड़ता है, तो शॉपिंग करने के लिए इस मंदिर की मार्केट एक अच्छी जगह है। जहां आपको उचित दामों में बहुत ही अच्छा सामान मिलता है।

6. लूना गांव – Luna Village
भिरनडियारा विलेज की तरह लूणा गांव भी पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। हाथ से बने लाख के कडे, जरी वाले हैंडबैग जैसे लेडीज सामानों के लिए यह गांव प्रसिद्ध है। धोलावीरा में ओर जगह से यह गांव काफी नजदीक है जहां आपको हर प्रकार का औरतो के श्रृंगार का सामान मिल जाता है।

7. भचाऊ – Bhachau
लूणा गांव से थोड़ा सा आगे भचाऊ शहर स्थित है। यह भचाऊ शहर धोलावीरा गांव की उप तहसील भी है। यह शहर यहां के सुप्रसिद्ध नलिया मंदिर एवं कोटेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है। भचाऊ शहर का इतिहास बहुत ही पुराना है और यह गुजरात की एक आध्यात्मिक नगरी है।

8. भीमासर – Bhimasar
आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यह भीमासर शहर सुप्रसिद्ध है। यह शहर अपने शांत वातावरण एवं सामान्य जीवन शैली के लिए जाना जाता है। पर्यटक स्थलों के नाम पर यहां बहुत से अच्छे अच्छे मंदिर और एक झील देखने को मिलेगी। यह झील भीमासर झील के नाम से जानी जाती है, और इस एरिया की सबसे बड़ी झील है।

9. सकरा खटिया जीवाश्म पार्क – Sakra Khatia Fossil Park
धोलावीरा से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह जीवाश्म पार्क हजारों करोड़ों साल पहले हुए जीव जंतुओं एवं पशु पक्षियों की प्रजातियां को दिखाने के लिए एक म्यूजियम का कार्य करता है। प्राचीन समय के पेड़ पौधों एवं जीव जंतुओं के अवशेषों को यहां पर संभाल कर रखा गया है। धोलावीरा घूमने जाने वालों के लिए यह जगह एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

10. वीरा मंदिर – Vira Temple
वीर मंदिर गुजरात का एक प्राचीन मंदिर और प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। देश-विदेश से लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। अपनी ऐतिहासिक एवं स्थानीय विरासत को संजोए यह मंदिर आपको आध्यात्मिक एवं एक सुखद एहसास करवाएगा।

धोलावीरा जाने और घुमने का यात्रा प्लान – Dholavira Travel Plan in Hindi
पहले दिन: पहले दिन के टूर प्लान में आप सबसे पहले सुबह धोलावीरा आर्कियोलॉजिकल साइट देखने जाएं, उसके बाद दोपहर में आप खादिर बैट घूमने जाएं। पहला दिन आपका इन दो जगह पर घूमने में निकल जाएगा। फिर शाम के समय वापस धोलावीरा जाकर आराम कीजिए।
दूसरे दिन: दूसरे दिन की यात्रा प्लान में आप सबसे पहले चारी ढांड जाएं। फिर दोपहर के समय आप यहां से भिंडियारा गांव और शाम के समय खादिर मंदिर जाएं और वहां पर लोकल कल्चर देखे और धार्मिक गतिविधियों में भाग ले।
तीसरे दिन: तीसरे दिन की यात्रा प्लान में आप सबसे पहले सुबह के समय लूणा गांव घूमने जाएं तथा उसके बाद भचाऊ शहर की यात्रा करें। उसके बाद दोपहर के समय आप भीमसर तथा शाम के समय आप वीरा मंदिर घूमने जाएं।
धोलावीरा में घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit In Dholavira In Hindi
अगर हम बात करें धोलावीरा में घूमने जाने के सबसे अच्छा समय के लिए तो आपको बता दें, कि धोलावीरा कछ के रण में स्थित है, जहां गर्मी बहुत ही ज्यादा होती है। इस जगह पर घूमने जाने के लिए आपको अक्टूबर से मार्च के महीने के बीच समय में जाना चाहिए।
इस समय यहां का मौसम सुहावना और आनंददायक होता है। दिन में थोड़ा बहुत हल्की गर्मी होती है, पर रेगिस्तान एरिया होने के कारण रात के समय आपको थोड़ी ठंड भी महसूस हो सकती है। अक्टूबर से मार्च के महीने के बीच में यहां पर रण उत्सव होता है।
जहां आप यहां के लोकल कल्चर, यहां के पारंपरिक परिधान तथा पारंपरिक नृत्य संगीत का आनंद ले सकते हैं। अगर आप पक्षी प्रेमी हैं तो इसी समय में प्रवासी पक्षियों का यहां पर जमावड़ा लगा रहता है। धोलावीरा की आर्कियोलॉजिकल साइट और उसके आसपास घूमने के लिए यह मौसम काफी हद तक उचित होता है।
धोलावीरा में रुकने की जगह – Where To Stay In Dholavira In Hindi
जैसा हमने आपको बताया कि धोलावीरा का एरिया एक नमक का रेगिस्तान है। यहां पर रुकने के लिए आपको बहुत ही कम ऑप्शंस मिलेंगे। परंतु धोलावीरा आर्कियोलॉजिकल साइट के पास में गवर्नमेंट ने कुछ गेस्ट हाउस और टूरिस्ट बैंगलो बनाए हुए हैं, जहां पर आपको कम ही खर्चे में अच्छी सुविधा और अनुभव प्राप्त होगा।
अक्टूबर से मार्च के महीने के दौरान रण उत्सव के समय यहां के स्थानीय लोग टेंट और कैंप वगैरा की सुविधा प्रदान करते हैं, जहां आपको एक अलग ही स्पेशल अनुभव मिलेगा।
धोलावीरा के आसपास के गांव में भी आपको वहां के स्थानीय निवासी घरों में और गेस्ट हाउस में रुकने की सुविधा प्रदान करते हैं। इन स्थानीय गांव में रहकर आपको वहां की पारंपरिक संस्कृति को करीब से देखने का अच्छा मौका मिलेगा।
धोलावीरा का प्रसिद्ध भोजन – Famous Food of Dholavira In Hindi
दोस्तों अगर हम बात करें धोलावीरा के प्रसिद्ध भोजन की तो आपको पता है कि गुजरात का भोजन तो पूरे भारतवर्ष ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। पर हम यहां पर आपको धोलावीरा के कुछ प्रसिद्ध भोजन का बता रहे हैं, जिनके स्वाद का आप घूमने जाते समय आनंद ले सकते हैं।
बाजरे का रोटला, कुछी कड़ी, कुछी देवड़ा, कुछी भाकरी चटनी के साथ, कुछी दाबेली, मेथी थेपला और गुजराती थाली जिसमें आपको विभिन्न प्रकार के व्यंजन मिलेंगे।
धोलावीरा कैसे जाएं? – How to reach Dholavira?
1# सड़क मार्ग से धोलावीरा कैसे जाएं? – How To Reach Dholavira By Road In Hindi
सड़क मार्ग से धोलावीरा पहुंचने के लिए आपको गुजरात के एक महत्वपूर्ण शहर भुज से यात्रा करनी होगी। भुज से धोलावीरा की दूरी 250 किलोमीटर है और भुज तक पहुंचाने के लिए आपको भारत के कोने-कोने से यातायात की सुविधा मिल जाएगी। धोलावीरा से 90 किलोमीटर दूर स्थित रापर से भी आप भुज तक की यात्रा कर सकते हैं।
2# ट्रेन से धोलावीरा कैसे जाएं? – How To Reach Dholavira By Train In Hindi
कोई भी ट्रेन सीधा धोलावीरा से होकर नहीं गुजरती है। ट्रेन के माध्यम से धोलावीरा पहुंचने के लिए आपको सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भुज तक की यात्रा ट्रेन से करनी होगी। फिर भुज से आपको रोड के माध्यम से ही धोलावीरा की यात्रा करनी होगी।
3# हवाई जहाज से धोलावीरा कैसे जाएं? – How To Reach Dholavira By Flight In Hindi
धोलावीरा के पास एयरपोर्ट भुज शहर का लगता है। अगर आप हवाई जहाज के माध्यम से धोलावीरा जा रहे हैं तो आपको भुज तक की यात्रा हवाई जहाज से करनी होगी। भुज हवाई अड्डा एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जहां पहुंचने के लिए आपको भारत के कोने-कोने से तथा विदेशों से भी हवाई जहाज मिल जाएंगे। उसके बाद भुज शहर से आपको टैक्सी या बस के माध्यम से धोलावीरा पहुंचना होगा।
धोलावीरा का नक्शा – Map of Dholavira
FAQs:- टॉप 10 धोलावीरा में घूमने की जगह और संपूर्ण यात्रा जानकारी
धोलावीरा क्यों प्रसिद्ध है?
धोलावीरा यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल भारत का 40 वाँ मुख्य पुरातात्विक स्थल है। भारत की प्राचीन हड़प्पा सभ्यता के अवशेष और खंडहर आज भी धोलावीरा में पाए जाते हैं।देश विदेश से हर साल बहुत से पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं।
5000 वर्ष पुरानी हमारी हड़प्पा सभ्यता का धोलावीरा एक प्रमुख महानगर हुआ करता था। हड़प्पा सभ्यता के समय उनकी नगरीय संरचना, पानी का बचाव करने का तरीका तथा उनकी जीवन शैली को परखने के लिए धोलावीरा एक मुख्य जगह है।
धोलावीरा कहां पर स्थित है?
भारत के गुजरात राज्य में कच्छ के रन के एक द्वीप खादिर में धोलावीरा स्थित है। इसके नजदीकी बड़े शहर रापर की दूरी इससे 90 किलोमीटर और भुज शहर से दूरी 250 किलोमीटर है।
धोलावीरा जाने और घूमने में कितने रुपए खर्च हो सकते हैं?
धोलावीरा जाने में आपको आप कहां से जा रहे है और किस माध्यम से जा रहे हैं, उसके हिसाब से चार्ज लगेगा। जैसे हवाई यात्रा, ट्रेन के माध्यम से या रोड के माध्यम से सबका अलग-अलग चार्ज होगा।
परंतु अगर हम धोलावीरा में घूमने की बात करें तो अगर आप भारतीय हैं, तो आपसे बहुत ही कम एंट्री फीस ली जाती है। और अगर आप विदेशी है तो आपको थोड़ा सा एक्स्ट्रा चार्ज यहां पर देना पड़ेगा। रात को धोलावेरा में रुकने के लिए आपको कम ही खर्च उठाना पड़ेगा क्योंकि धोलावीरा में गवर्नमेंट के गेस्ट हाउस है, जहां रुकने का खर्चा बहुत ज्यादा नहीं है।
रण उत्सव के दौरान लगने वाले कैंप और टेंट का खर्चा भी 200 से 400 रुपए पर व्यक्ति का लगता है। अगर आप धोलावीरा के पास के गांव में रुक रहे हैं तो वहां भी आपको पर व्यक्ति के हिसाब से 100 से 200 रुपए का चार्ज देना पड़ता है। आसपास के गांव और मंदिरों में घूमने के लिए आपको कोई भी चार्ज नहीं देना पड़ता है। यहां पर मिलने वाला प्रसिद्ध खाना भी बहुत ही सस्ता और जायकेदार मिलेगा।
Dholavira Tourist Place In Hindi
दोस्तों आज इस आर्टिकल में हमने धोलावीरा में घूमने की जगह, धोलावीरा का प्रसिद्ध भोजन, धोलावीरा में रुकने की जगह तथा धोलावीरा कैसे पहुंच जाए इन सब के बारे में आपको विस्तारपूर्वक बताया है।
बहुत ही मेहनत और रिसर्च से यह जानकारियां हम आप लोगों तक लेकर आए हैं, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और अगर आप कुछ अत्यधिक जानना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं हम जल्द से जल्द आपका उत्तर देंगे।
मिलते हैं अगले एक और बेहतरीन आर्टिकल में।
जय हिंद जय भारत